बैलेस्टिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आ जाएगी हैदराबाद एनकाउंटर की हर कड़ी
तेलंगाना एनकाउंटर की सच्चाई जल्द ही लोगों के सामने होगी। इसके लिए बैलेस्टिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार करना पड़ेगा। गोली कितनी दूरी से चली है, एनकाउंटर में यह बात मायने नहीं रखती। कहा जा रहा है कि आरोपी के पांव में गोली लगनी चाहिए और इसके अलावा कहीं दूसरी जगह पर गोली लगती है, तो पुलिस सवालों के घेरे में आ जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में लंबे समय तक काम करने वाले एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि किसी भी एनकाउंटर केस में सवाल उठना लाजमी है। ऐसे केस में जांच अधिकारी बैलेस्टिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर निर्भर रहते हैं। एनकाउंटर के बाद उसके सही या फर्जी होने पर मीडिया में अनेक सवाल उठते हैं, इस सवाल के जवाब में पूर्व अधिकारी का कहना है कि यह आम बात है। मीडिया में अमूमन ऐसी खबरें चलती रहती हैं कि एनकाउंटर के दौरान पुलिस ने आरोपी पर गलत दिशा से और गलत जगह पर गोली मारी है। इससे तो पुलिस पर सवाल उठने लगेंगे।
इस तरह के गंभीर मामलों में कई बार जल्दबाजी में रिपोर्टिंग होती है। तथ्यों की बजाए सुनी-सुनाई बातों को नोट कर लिया जाता है। लेकिन ऐसा कोई नियम नहीं होता है कि एनकाउंटर में फलां दूरी से गोली चलाई जाए। गोली सौ मीटर दूरी से लग सकती है और पांच मीटर दूरी से भी आरोपी को भेद सकती है। यह भी तय नहीं होता कि गोली शरीर के किस हिस्से पर लग रही है। वजह, सामने जो आरोपी होते हैं, उनके हाथ में भी तो हथियार हैं। क्रॉस फायरिंग होती है। दोनों पक्ष खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।
ऐसे में गोली किसी भी तरफ से और कहीं भी लग सकती है। किस हथियार से गोली चली है और कितनी दूरी से, ये सब बातें बैलेस्टिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चलेंगी। अगर क्रॉस फायरिंग की बात सही साबित होती है, तो एनकाउंटर में पुलिस का पक्ष मजबूत हो जाता है। इस स्थिति में गोली कहीं भी और कितनी भी दूरी से मारी जाए, उसे सही मान लिया जाता है। गोली छिपते हुए, भागते हुए या झपटते हुए लगी है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात पता चल जाती है।